1. व्यापार अब शुद्ध धन आधारित हो गया। 2. व्यापार अब शुद्ध धन आधारित हो गया। 3. जहाँ इन तीनों में से कोई परदा नहीं रहता वहाँ शुद्ध धन 4. हम तो शुद्ध धन मालभत्ते को ही ‘ राशि ' मानते हैं। 5. सामान्यत: स्थानिक व्यक्तियों से उनके विश्वव्यापी शुद्ध धन के आधार पर कर ग्रहण किया जाता है। 6. शुद्ध धन का अंकन करके धनकर अधिकारी उस धन पर लगनेवाले कर का निर्धारण करता है।7. निकोलस काल्डोर की संस्तुतियों पर अप्रैल, 1957 में प्रथम बार भारत में शुद्ध धन पर कर की व्यवस्था की गई थी। 8. शुद्ध धन से अभिप्राय है गणना के वर्ष के अंतिम दिन करदाता के पास जितनी परिसंपत्तियाँ हों, उन सबका कुल मूल्य।9. ' मूल्य निर्धारण तिथि' को करदाता के पास कुल जितना कर योग्य या करार्ह शुद्ध धन हो, उसी पर धनकर का वार्षिक उद्ग्रहण किया जाता है। 10. स्थानिक नागरिकों को और अविभाजित हिंदू परिवारों को विदेशी शुद्ध धन पर तथा अनिवासी विदेशियों को देशीय शुद्ध धन पर 50% रियायत की व्यवस्था अधिनियम में है।